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Wednesday 26 June 2013

यादें............

 अपनों की याद में वक़्त बे वक्त बरसती आखें .............
 अपनों को देखने वक़्त बे वक्त तरसती आखें .............
 जो चले गये इस जहाँ से उनकी याद
 दर्द बनकर हरदम भर आती आखें  .............
 छोड़ गये जो हमको वो लौट फिर नहीं आयेंगे 
 उनकी याद में नींद में भी बहती आखें ............. 
 वे हमें बहुत प्यारे थे 
 हम उनके जान से  दुलारे थे 
 क्या वे खुदा के भी प्यारे थे 
 क्यूँ खुदा उन्हें पास बुला लेते 
 जिन्हें देखने बार बार भर आती आंखे ............. 
 कई बार खुदा से मन्नत मांगी 
 उनका चेहरा दिखा दो चाहे एक दफा ही काफी 
 जिनकी याद में हरदम छलकती आंखे  .............
 आप हमारे आसपास अभी भी सदा रहते हो 
 आपके ही आशीर्वाद दुआ से होता है हमारा सबेरा
 आपके ही स्नेह से उज्ज्वल भविष्य हमारा 
 आपकी याद में हरदम रोती आखें   ............. 
 आप को देखने को हरदम तरसती आखें  .............  

                                                                          Ranjana Verma 

24 comments:


  1.  बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति आभार संजय जी -कुमुद और सरस को अब तो मिलाइए. आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN

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  2. अपने कई बार चले जाते हैं न वापस आने के लिए ... और यादों में तरसते हैं उनको चाहने वाले ... आँखें छलक आती हैं उन यादों में ...

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  3. जिन्हें देखने बार बार भर आती आंखे
    कई बार खुदा से मन्नत मांगी
    ...........बहुत सुन्दर एहसास

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  4. सुन्दर भावों की सार्थक प्रस्तुति .आभार

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  5. आपकी यह रचना कल गुरुवार (27-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  6. सुन्दर एहसास की रचना...

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  7. This comment has been removed by the author.

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  8. बहुत सुंदर प्रस्तुति ...

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  9. अपनों के अपनेपन को याद कराती
    भावमय सुंदर प्रस्तुति.बधाई

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  10. बहुत सुंदर प्रस्तुति ...

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  11. सुन्दर रचना.

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  12. थैंक यू यशोदा.....

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  13. संवेदनापूर्ण सुन्‍दर रचना।

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  14. बहुत भावपूर्ण , जाने वालो की आज फिर याद दिला गयी ये कविता ,,, आभार

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  15. यादों में डूबी सुन्दर रचना.

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  16. आपके ही आशीर्वाद दुआ से होता है हमारा सबेरा
    आपके ही स्नेह से उज्ज्वल भविष्य हमारा
    आपकी याद में हरदम रोती आखें .............
    आप को देखने को हरदम तरसती आखें

    बहुत भावपूर्ण

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  17. हम उनके जान से दुलारे थे
    क्या वे खुदा के भी प्यारे थे
    निरुत्तर करती रचना
    दिल को छु गई

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  18. बहुत बढ़िया,सुंदर प्रस्तुति,,,

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  19. आप सबको बहुत बहुत धन्यवाद !!

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  20. गहन दर्द ....बहुत सुंदर रचना ...

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  21. sundar dard bhare bhaav liye ... badhai

    मेरी नयी रचना Os ki boond: लव लैटर ...

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  22. यही शाश्वत सत्य है। अपने छोड़ कर जाते ही हैं एक दिन, और एक दिन हम भी छोड़ जायेंगे अपने 'अपनों' को छोड़कर ... जो लम्हे हैं, उन्ही में जी लेना है बस!
    सार्थक, सुन्दर अभिव्यक्ति.

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