मेरी भावना के स्रोत हैं सूखे
अक्षर अक्षर घायल है
जल रही है मेरी कविता
निः शब्द पढ़े शब्दों से
मैं कैसे गढ़ लूं
एक नयी कविता
प्रिय मैं कैसे गाऊँ प्रेम कविता
दुःख घनेरी दहका है मन
जल रहा है कोमल तन
मां बहनों की इज्जत खतरे में है
लुटे हुए अस्मत पर
मैं कैसे ग़ढ लूं
एक नयी कविता
प्रिय मैं कैसे गाऊँ प्रेम कविता
Ranjana verma
दिल से निकले शब्द सीधे दिल को छूते हैं. यादों का सिलसिला ही ऐसा है
ReplyDeleteआवश्यक सूचना :
ReplyDeleteसभी गणमान्य पाठकों एवं रचनाकारों को सूचित करते हुए हमें अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि अक्षय गौरव ई -पत्रिका जनवरी -मार्च अंक का प्रकाशन हो चुका है। कृपया पत्रिका को डाउनलोड करने हेतु नीचे दिए गए लिंक पर जायें और अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँचाने हेतु लिंक शेयर करें ! सादर https://www.akshayagaurav.in/2019/05/january-march-2019.html
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